अयोध्या: श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के साथ यातायात में बदलाव लाने का निर्णय हुआ है। डायवर्जन के चलते, लखनऊ, गोंडा, बस्ती, अंबेडकरनगर, सुल्तानपुर, अमेठी से अयोध्या की ओर आने वाले वाहनों को अलग-अलग मार्गों से गंतव्य तक भेजा जाएगा। अब तीन दिनों के लिए बाहरी व्यक्तियों की एंट्री नहीं होगी, और सिर्फ आमंत्रित लोग ही मंदिर जा सकेंगे। श्रद्धालुओं को विशेष पहचान पत्र की आवश्यकता होगी।
अयोध्या के लिए रोजाना चलेंगी 80 बसें
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद लखनऊ से अयोध्या के बीच रोजाना 80 बसों का संचालन किया जाएगा। इससे तकरीबन 40 हजार श्रद्घालुओं को राहत मिलेगी। बस अड्डों से हर 20 मिनट के अंतराल पर यात्रियों को बसें उपलब्ध होंगी। यह नई सुविधा श्रद्धालुओं के लिए बड़ी सुखद खबर है जो अयोध्या के प्रति अपनी आस्था को व्यक्त करने के लिए यात्रा कर रहे हैं।
एयरपोर्ट पर उतरे छह विमान, भरपूर मिलीं सवारियां
महत्वपूर्ण घटना के दिन, महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर छह विमान उतरे, जो मुंबई, कोलकाता, अहमदाबाद, बंगलुरू से थे। दिल्ली से भी दो विमान आये जिनमें यात्री श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए यात्रा कर रहे थे। यह इस पवित्र अवसर के लिए आयोजित हुए विमानों की गिनती में शामिल था।
300 आस्था ट्रेनें देशभर से अयोध्या के लिए चलेंगी
आगामी प्राण प्रतिष्ठा के बाद, रेलवे प्रशासन आस्था ट्रेनों को चलाने की तैयारी कर रहा है। यहां से लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, दिल्ली, मुंबई, जयपुर, अहमदाबाद, और अन्य जगहों से लंबी दूरी तय करने वाली आस्था ट्रेनें चलेंगी। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि लगभग 300 ट्रेनें यहां पहुंचने का इंतजार कर रही हैं, जिससे श्रद्धालुओं को अयोध्या पहुंचने में आसानी होगी।
तीन से चार गुना यात्री बढ़ने की उम्मीद
प्राण प्रतिष्ठा के बाद, यात्रीगण की संख्या में तीन से चार गुना तक वृद्धि होने की उम्मीद है। इसलिए, अधिक संख्या में ट्रेनें चलाई जा रही हैं ताकि यात्री आसानी से अपने गंतव्य तक पहुंच सकें। रेलवे प्रशासन ने बताया कि इस बार कुल 32 जोड़ी ट्रेनें चलाई जाएंगी, जिससे 25 हजार यात्री साथ में यात्रा कर सकेंगे।
लखनऊ सहित देशभर से अयोध्या के लिए के लिए आस्था ट्रेनों को चलाया जाना है। पर, इस बाबत रेलवे बोर्ड से नोटिफिकेशन व निर्देश जारी होने का इंतजार है। इसके आते ही ट्रेनों को पटरी पर उतारा जा सकेगा। – सचिंद्र मोहन शर्मा, डीआरएम, उत्तर रेलवे